हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में लोकसभा में पेश किए गए वक्फ संशोधन बिल 2025 के खिलाफ तीखा विरोध दर्ज किया। उन्होंने इस बिल को गैर-संवैधानिक करार देते हुए इसे सदन में फाड़ दिया। ओवैसी का कहना है कि यह बिल बीजेपी की मंदिर-मस्जिद के नाम पर देश में तनाव बढ़ाने की साजिश का हिस्सा है।

Table of Contents
1-वक्फ संशोधन बिल 2025: क्या है यह बिल?
2-असदुद्दीन ओवैसी का विरोध: बिल को फाड़ने की वजह
3-विपक्ष का रुख: संविधान के खिलाफ बिल?
4-बीजेपी का दावा: वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन
5-ओवैसी की चेतावनी: समर्थक नेताओं को जवाब देना होगा
वक्फ संशोधन बिल 2025: क्या है यह बिल?
भारतीय लोकसभा में हाल ही में वक्फ संशोधन बिल 2025 को मंजूरी दी गई। बीजेपी सरकार ने इस बिल को पेश करते हुए दावा किया कि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी और खामियों से मुक्त बनाना है। सरकार के मुताबिक, इस बिल से वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में सुधार होगा और संपत्तियों का दुरुपयोग रुकेगा। हालांकि, विपक्ष ने इस बिल को वक्फ संपत्तियों को हड़पने की साजिश करार दिया है।
असदुद्दीन ओवैसी का विरोध: बिल को फाड़ने की वजह
लोकसभा में चर्चा के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन बिल 2025 को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने बिल की प्रति को फाड़ते हुए कहा, “यह बिल गैर-संवैधानिक है। बीजेपी मंदिर और मस्जिद के नाम पर देश में तनाव पैदा करना चाहती है। मैं इसका पुरजोर विरोध करता हूं।” ओवैसी ने महात्मा गांधी का हवाला देते हुए कहा कि जैसे गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी कानूनों को फाड़ा था, वैसे ही वे इस बिल को फाड़ रहे हैं क्योंकि उनका अंतःकरण इसे स्वीकार नहीं करता।
विपक्ष का रुख: संविधान के खिलाफ बिल?
विपक्षी दलों ने इस बिल को संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन बताया है। अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है, जबकि अनुच्छेद 15 धर्म के आधार पर भेदभाव को रोकता है। विपक्ष का कहना है कि यह बिल धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का भी हनन करता है। ओवैसी ने अपनी 10 संशोधन सुझावों को स्वीकार करने की मांग की, लेकिन उनकी मांग को नजरअंदाज कर दिया गया।
बीजेपी का दावा: वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन:
बीजेपी ने इस बिल को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार का कदम बताया है। पार्टी का कहना है कि वक्फ बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को दूर करने के लिए यह बिल जरूरी है। हालांकि, विपक्ष का मानना है कि यह बिल अल्पसंख्यक समुदाय की संपत्तियों पर कब्जा करने की साजिश है। इस मुद्दे पर लोकसभा में तीखी बहस देखने को मिली।
ओवैसी की चेतावनी: समर्थक नेताओं को जवाब देना होगा
असदुद्दीन ओवैसी ने उन नेताओं को चेतावनी दी जो इस बिल का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “अगर चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, चिराग पासवान और जयंत चौधरी इस बिल का समर्थन करते हैं, तो वे राजनीतिक कारणों से ऐसा करेंगे। लेकिन 5 साल बाद जब वे जनता के सामने जाएंगे, तो उन्हें क्या जवाब देना होगा?” ओवैसी ने बीजेपी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि यह बिल देश में सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाएगा।
वक्फ संशोधन बिल 2025 पर बहस क्यों?
वक्फ संशोधन बिल 2025 को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण को लेकर नए नियम लागू करता है, लेकिन विपक्ष का मानना है कि यह अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर हमला है। इस बिल के पारित होने के बाद इसके कानूनी और सामाजिक प्रभावों पर चर्चा तेज हो गई है।
क्या होगा इस बिल का भविष्य?
वक्फ संशोधन बिल 2025 अब राज्यसभा से भी पारित हो चुका है, जिसके बाद भारत में सांप्रदायिक तनाव बढ़ने की संभावना है। विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला मान रहा है और दावा कर रहा है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) और 15 (धार्मिक भेदभाव निषेध) का उल्लंघन करता है, जबकि सरकार इसे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और सुधार लाने वाला कदम बता रही है। इस बिल के पास होने से मुस्लिम समुदाय में असुरक्षा और आक्रोश फैल सकता है, जिससे स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन या सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा हो सकती है। साथ ही, गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने और संपत्ति सर्वेक्षण के लिए जिला मजिस्ट्रेट को शक्ति देने जैसे प्रावधानों पर विवाद बढ़ सकता है, जो देश में धार्मिक सौहार्द को प्रभावित कर सकता है।
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