नई दिल्ली, 3 अप्रैल 2025: लोकसभा में 12 घंटे से अधिक चली तीखी बहस के बाद बुधवार (2 अप्रैल) देर रात वक्फ संशोधन विधेयक 2025 (वक्फ संशोधन विधेयक 2025) को पारित कर दिया गया। इस विधेयक के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 232 वोट डाले गए। यह विधेयक अब गुरुवार (3 अप्रैल) को राज्यसभा में पेश किया जाएगा, क्योंकि सरकार इसे 4 अप्रैल को समाप्त होने वाले बजट सत्र में ही पारित करवाना चाहती है।
विपक्ष ने इस विधेयक को “असंवैधानिक” और “देश को बांटने की कोशिश” करार देते हुए इसका कड़ा विरोध किया। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर “वोट बैंक की राजनीति” करने का आरोप लगाया और कहा कि यह विधेयक मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता।
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर लोकसभा में क्या हुआ?

लंबी बहस और मतदान:
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर दिन भर बहस चली, जो देर रात तक जारी रही। आधी रात के बाद मतदान करवाया गया, जिसमें विधेयक के पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े।
केंद्रीय मंत्रियों की भूमिका:
इस विधेयक को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया, लेकिन बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 47 मिनट का भाषण दिया। शाह ने विपक्ष के सवालों और आशंकाओं का जवाब देने की कोशिश की।
विपक्ष का विरोध:
विपक्षी दलों ने इस विधेयक को “असंवैधानिक” करार दिया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक संविधान को कमजोर करता है, अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करता है, और भारतीय समाज को बांटने की कोशिश करता है।
बीजेपी के सहयोगी दलों की प्रतिक्रिया:
बीजेपी के दो प्रमुख सहयोगी दलों—जेडी(यू) और टीडीपी—ने विधेयक का समर्थन किया। हालांकि, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने सुझाव दिया कि राज्यों को वक्फ बोर्ड की संरचना तय करने में लचीलापन दिया जाना चाहिए।
वक्फ संशोधन विधेयक 2025: अमित शाह ने क्या कहा?

अमित शाह ने अपनी 47 मिनट की लंबी स्पीच में विधेयक के उन पहलुओं को स्पष्ट करने की कोशिश की, जिन पर विपक्ष ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा:
गैर-मुस्लिमों की भूमिका:
“कोई भी गैर-इस्लामी सदस्य वक्फ का हिस्सा नहीं होगा। यह अच्छी तरह समझ लें कि न तो मुतवल्ली और न ही वक्फ का कोई सदस्य गैर-मुस्लिम होगा। धार्मिक संस्था के प्रबंधन के लिए किसी गैर-मुस्लिम को नियुक्त करने की कोई धारा नहीं है, न ही हमारा ऐसा कोई इरादा है।”
वोट बैंक की राजनीति:
शाह ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं और वोट बैंक को मजबूत करने के लिए डर का माहौल बना रहे हैं। उन्होंने कहा, “गैर-मुस्लिमों को सिर्फ वक्फ बोर्ड या काउंसिल में ही शामिल किया जा सकता है। उनका काम धार्मिक मामले नहीं, बल्कि यह देखना है कि प्रशासन कानून के अनुसार चल रहा है या नहीं।”
पिछली तारीख से लागू होने की अफवाह:
शाह ने कहा, “यह गलतफहमी फैलाई जा रही है कि यह विधेयक पिछली तारीख से लागू होगा। विधेयक में साफ कहा गया है कि यह कानून अधिसूचना जारी होने के बाद ही लागू होगा।”
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 की मुख्य बातें
नया नाम “उम्मीद”:
इस विधेयक ने वक्फ एक्ट, 1995 का नाम बदलकर “इंटीग्रेटेड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट” (उम्मीद) कर दिया है। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन की दक्षता को बढ़ाना बताया गया है।
गैर-मुस्लिमों और महिलाओं की भागीदारी:
विधेयक में सेंट्रल वक्फ काउंसिल और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों और मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही गई है।
बोहरा और आगाखानी समुदाय के लिए अलग बोर्ड:
बोहरा और आगाखानी समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड के गठन का प्रावधान किया गया है।
धारा 40 हटाई गई:
इस विधेयक में धारा 40 को हटा दिया गया है, जो वक्फ बोर्ड को यह तय करने का अधिकार देती थी कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं।
विपक्ष ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को क्यों बताया असंवैधानिक?

कांग्रेस का आरोप:
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक चार उद्देश्यों को पूरा करता है—संविधान को कमजोर करना, अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करना, भारतीय समाज को बांटना, और अल्पसंख्यकों को उनके अधिकारों से वंचित करना।
टीएमसी का विरोध:
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक समुदायों को अपने मामलों को स्वतंत्र रूप से संभालने का अधिकार देता है।
एआईएमआईएम (AIAIM) की आपत्ति:
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है। उन्होंने पूछा, “अगर हिंदू, बौद्ध और सिख अपने धार्मिक मामले संभाल सकते हैं, तो मुसलमान क्यों नहीं?”
समाजवादी पार्टी की चेतावनी:
सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि यह विधेयक बीजेपी के लिए “वाटरलू” साबित होगा। उन्होंने इसे मुसलमानों को बांटने की साजिश करार दिया।
क्फ संशोधन विधेयक 2025: किरेन रिजिजू का जवाब
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा:
संवैधानिकता पर सवाल:
“अगर आप कहते हैं कि यह विधेयक असंवैधानिक है, तो हमें बताएं कि क्यों? मैंने कोर्ट का टिप्पणी पढ़ी है कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन कानूनी है। अगर यह असंवैधानिक था, तो किसी अदालत ने इसे खारिज क्यों नहीं किया?”
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा:
रिजिजू ने कहा, “मैं खुद अल्पसंख्यक समुदाय से हूं और कह सकता हूं कि भारत में अल्पसंख्यक किसी भी अन्य देश की तुलना में ज्यादा सुरक्षित हैं।
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर संयुक्त संसदीय समिति की भूमिका
इस विधेयक को अगस्त 2024 में पहली बार संसद में पेश किया गया था। इसके बाद इसे जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया।
जेपीसी के अध्यक्ष बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि समिति की सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है।
समिति ने विपक्षी सांसदों की 44 संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया, जबकि एनडीए खेमे के 14 प्रस्तावों को स्वीकार किया गया।
वक्फ संशोधन विधेयक 2025: आगे क्या?

1-यह विधेयक अब 3 अप्रैल 2025 को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
2-सरकार इसे 4 अप्रैल को समाप्त होने वाले बजट सत्र में पारित करवाना चाहती है।
3-विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि वे राज्यसभा में भी इस विधेयक का कड़ा विरोध करेंगे।
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